
*महाकाल मंदिर अब प्राइवेट लिमिटेड….* (एक चित्र देख कर ऐसा ही आभास होता है।)
आम श्रद्धालुओं को यहां अपमानित होना पड़ता है वहीं वीआईपी आराम से “नो फ़ोटो झोन” में खड़े होकर फ़ोटो सेशन करते हैं। मंदिर के नियम पैरों तले रौंदकर अपना रूतबा सोशल मीडिया पर पूरी दुनिया को दिखाते हैं।
यहां आम श्रद्धालुओं के मोबाईल फोन ले जाने पर भी प्रतिबन्ध है। यहां पत्रकारों को भी जमानेभर के नियम कानून दिखाए जाते हैं ।
यहां भोले के भक्तों को जेल भेजा जाता है। मंदिर के मालिक खुद महाकाल को ढेर सारी रेलिंग लगाकर कैद कर रखा जा रहा है।
महाकाल मंदिर को वीआईपी कल्चर से मुक्त करवाने के लिए उज्जैन के नागरिकों को एकजुट होकर बड़ा जन आन्दोलन करने के लिए सड़क पर उतरना होगा वर्ना मानकर चलिए महाकाल का तीसरा नेत्र जल्द खुलेगा और उसका प्रकोप सबको झेलना पड़ेगा…